गीत/नवगीत

परिवर्तन !!

क्यों जिये तनहाई में।
आओ मिलकर आग लगाये,
भ्रष्टाचार, महँगाई में।
क्यों जिये तनहाई में।।

चारों तरफ है घोर अंधेरा,
फैल चुका है तेरा-मेरा,
जब सब दु:खीं समाज हुआ तो,
क्यों ना डाले पाप, कढ़ाई में।
क्यों जिये तनहाई में।।

भूल रहा है जन-जन जीवन,
आओ देखे पुनः सनातन,
मन को हम निर्मल कर जाये,
ना बैठे, छुपे रजाई में।
क्यों जिये तनहाई में।।

हमें मिली थी बड़ी विरासत,
जो महान कर डाले है दुर्गति,
समय जो गर बुरा आया है,
आगे बढ़े भलाई में।
क्यों जिये तनहाई में।।

मानव जीवन यू नही है मिलता,
बिन जल फूल कहाँ है खिलता,
फिर बर्बाद करे क्यों जीवन,
अपनी फिजूल लड़ाई में।
क्यों जिये तनहाई में।।

नित पल-पल को गीत बनाये,
आओ मिलकर संगीत बनाये,
जो जीवन को रंग से भर दे,
बजता रहे शहनाई में।
क्यों जिये तनहाई में।।

— हृदय जौनपुरी

हृदय नारायण सिंह

मैं जौनपुर जिले से गाँव सरसौड़ा का रहवासी हूँ,मेरी शिक्षा बी ,ए, तिलकधारी का का लेख जौनपुर से हुई है,विगत् 32 बरसों से मैं मध्यप्रदेश के धार जिले में एक कंपनी में कार्यरत हूँ,वर्तमान में मैं कंपनी में डायरेक्टर के तौर पर कार्यरत हूँ,हमारी कंपनी मध्य प्रदेश की नं-1 कम्पनी है,जो कि मोयरा सीरिया के नाम से प्रसिद्ध है। कविता लेखन मेरा बस शौक है,जो कि मुझे बचपन से ही है, जब मैं क्लास 3-4 मे था तभी से