मुक्तक/दोहा “दोहा-मुक्तक” *महातम मिश्र 16/03/201725/03/2017 घिरी हुई है कालिमा, अमावसी यह रात क्षीण हुई है चाँदनी, उम्मीदी सौगात हाथ उठाकर दौड़ता, देख लिया मन चाँद आशा में जीवन पला, पल दो पल की बात॥ — महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी