कविता : नोटबंदी पर तुकबंदी
नोटबंदी ने हिला दिया सबको, किया बड़ा हैरान है,
खर्चों में हो गई है कटौतियां, बच्चा-बच्चा परेशान है।
मार्केट तो सारे बंद पड़े हैं, धंधे भी सारे मंद पड़े हैं,
मोदीजी के पक्षधर थे जो, गिरगिट सा रंग बदले हैं।
ना कोई राजा ना ही रंक है, आज तो सब इंसान है,
टेढ़ी-मेढ़ी चाल ना चलना, फसने का पूरा इंतजाम है।
अपनी-अपनी समझ से सारे, करते ज्ञान बखान है,
हमारे संयम और सूझबूझ का, यह बड़ा इम्तिहान है।
प्रगति-पथ पर चल पड़े हैं, अब रुक जाना अज्ञान है,
इस ओर-उस ओर न लुढ़को,साथ चलने में ही शान है।
गेंहू के संग घुन भी पिसते, यह तो जग का विधान है,
अंततः सत्य ही विजयी होगा, यही गीता का ज्ञान है।
— सुमिता राजकुमार मूंधड़ा