बसंत की आस
ऐ कोकिल! तू रूठ मत, पतझड़ का मौसम जाएगा;
बसंत में बगिया खिल जाएगी, नया सवेरा आएगा।
नयी-नयी कलियां आएंगी , शीतल-मंद-पवन होगा;
मनभावन-मेह के बाद फिर से, सुन्दर नील-गगन होगा।
तेरी मधुर आवाज से , पथिक मस्त हो जाएगा;
बसंत में बगिया खिल जाएगी, नया सवेरा आएगा।
रंग-बिरंगी तितलियां फिरेंगी, सुन्दर-रंगीन फूलों पर;
बालाएं नाचेंगी-गाएंगी , बगिया में सुन्दर झूलों पर।
उपवन में हरियाली होगी , मधुकर गीत गाएगा;
बसंत में बगिया खिल जाएगी, नया सवेरा आएगा।
सुन्दर , सरस , पीली सरसों लहराएगी खेतों में;
चहुंओर खुशहाली होगी, प्रेम उमड़ आएगा मन में।
जो सुख गई है डाली , उसका रंग हरा हो जाएगा;
बसंत में बगिया खिल जाएगी, नया सवेरा आएगा।
हर्ष-उल्लास, उमंग-तरंग फगुआ लाएगा नवीन;
होली की धूम में तन-मन, दोनों हो जाएगा रंगीन।
मयूर नाचेगा मस्ती में, बादल जब घिर-घिर आएगा;
बसंत में बगिया खिल जाएगी, नया सवेरा आएगा।
आमों में बौर लगेंगे , फैलेगी बगिया में सुगंध ;
दामन में खुशियां विविध लिए, आएगा सुन्दर बसंत।
झमझम-झमझम वर्षा होगी, तन पुलकित हो जाएगा;
बसंत में बगिया खिल जाएगी, नया सवेरा आएगा।
प्रकृति-सुंदरी बनकर नववधू, सोलह श्रृंगार करेगी;
सभी प्राणियों में मधुमास , अपना प्यार भरेगी।
ऋतुराज के आने से तू, पतझड़ का दर्द भूल जाएगा;
बसंत में बगिया खिल जाएगी, नया सवेरा आएगा।
ऐ कोकिल! तू रूठ मत, पतझड़ का मौसम जाएगा;
बसंत में बगिया खिल जाएगी, नया सवेरा आएगा।