लघुकथा

लघुकथा – मूरख की मजार

आज फिर जब रामनवमी का जूलूस शंकर चौक की संकरी गलियों से निकला तो मजार पर राम लक्ष्मण नेे रथ से उतर कर मत्था टेका ।
चौक एरिया में थोड़ी देर झंडा झुका लिया गया था । हनुमान बने चंदन के लिए ये पहला अनुभव था उसे लक्ष्मण बने धीरज से पूछना ज्यादा उचित लगा क्योंकि वो इस मंडली से खानदानी जुड़ा हुआ है ।
“ये किसकी मजार है । “
” ये मुरख की मजार है । “
” क्या मतलब कोई कहानी है क्या ? “
” हाँ कहानी जैसी ही तो है सुनकर शायद ही कोई विश्वास करता है तुम भी शायद हँसोगे ।”
” बताओ अभी तो जूलूस बहुत देर घुमेगा । “
 धीरज अतीत में खो गया ।
” मेरे दादा राम बने थे । तब नई नई बिजली के तार लगे थे । ये गली तब भी संकरी ही थी । जूलूस जब यहाँ से गुजर रहा था तो रामनवमी का ऊँचा झंडा तार में लगा और तार टूट  गया । बालकनी में खड़े जहूर मियाँ को लगा तार राम लक्ष्मण के रथ पर गिरेगा  सो उन्होंने हाथ बढ़ाकर नंगे तार को पकड़ लिया । संयोग से बिजली भी थी । “
 चंदन ने उसके यादों को ब्रेक लगाया ” तो इसमें  मूरख वाली कौन सी बात हो गई । “
 धीरज हँसा ” ये अपने रथ के ऊपर लगा इतना बड़ा छत्र देख रहे हो न , ये तब भी होता था । अब सोचो इसके रहते तार राम लक्ष्मण पर कैसे गिरता । “
 चंदन बात समझते ही मुस्करा उठे वाकई मूरख ही था जो बेकार में जान गंवा बैठा ।
राम बने कलाकार ने चेताया ” वो देखो पत्रकार लोग फोटो खींच रहे हैं हनुमान के पोज में आ जाओ जल्दी से । “
 चंदन को न जाने क्या हो गया अब उसका मुंह हनुमान की तरह फूल नहीं रहा । वो जैसे तैसे घुटना टिकाये खड़ा है एकबार ये जूलूस निपट जाए फिर कभी हनुमान नहीं बनेगा ।

कुमार गौरव

कुमार गौरव ग्राम+ पो०- शाहपुर उण्डी (पटोरी ) जिला -समस्तीपुर (बिहार ) पिन- 848504 मो०-9718805056