कविता

अप्रैल फूल (चुनावी चुस्की)

पिता-पुत्र के दंगल में
बिखर गया परिवार।
सत्ता हाथ से निकल गई
डुब गई सरकार।।
साइकिल की रफ्तार को
हाथ ने लगाया ब्रेक।
हाथी सूंड़ उठाकर
ईवीएम कर रहा चेक।।
यूपी समर मे बुआ-भतीजे की
पुरी हुई ना आस।।
मंद-मंद मुस्काए चाचा
बातें है कुछ खास।।
लैपटाप खटिया वितरण ने
कर दिया सत्यानाश।
नोटबंदी के दौर मे
खिला कुसुम आकाश।।
कलतक जो बनाते थे
आज खुद बन गए अप्रैल फूल।
सियासी घमासान मचा हुआ
जनता दिख रही कूल।।

विनोद कुमार विक्की

शिक्षा:-एमएससी(बी.एड.) स्वतंत्र पत्रकार सह व्यंग्यकार, महेशखूंट बाजार, खगडिया (बिहार) 851213