एक और एक ग्यारह
एक बडे अस्पताल के प्रतिक्षालय में दो औरतें बैठी थी । दोनों ने बातचीत शुरू करने के उद्देश्य से यहाँ आने का कारण पूछा तो पता चला कि नयना जो कि विधवा है उसका बेटा कैंसर से पीडित है। कई अस्पताल घूमने के बाद यहाँ आज घर गिरवी रख कर आई है, लेकिन रकम कम पड गई है तो डाक्टर इलाज करने से मना कर रहा है। आज उसके गोद से लाल ही नहीं सर से छत भी छिनने वाला है।
वहीं सुनयना जिसके पेट में दो महीने से एक बच्चा पल रहा है अपने शराबी पति के लिए आई है जिसकी किडनी फेल है दोनों । धन दौलत तो अथाह है उनके पास और यही समस्या का मूल भी है जिसने पति को शराबी बना दिया और रिश्तेदारों को लोभी ।
कुछ देर के बातचीत में ही दोनों ने एकदुसरे की समस्या के समाधान के लिए प्रस्तुत कर दिया । नयना अपनी किडनी देने के लिए तैयार हो गई और सुनयना आखिरी दम तक उसके बेटे का इलाज कराने और गिरवी घर छुड़ाने के लिए । दो इकाईयां मिलकर अब दहाई को भी पीछे छोड़ चुकी हैं ।