चरित्रहीन
सक्सेना साहब आज बहुत खुश थे। उनके परम मित्र ने उन्हें एक महिला का पता व फ़ोन नंबर दिया था जिससे वो जब चाहे मिल सकते थे और कुछ पैसे देकर मनचाही सन्तुष्टि कर सकते थे। जैसे ही कार्यालय से रवाना हुए सक्सेना साहब की गाड़ी उसी पते की और दौड़ने लगी। कुछ ही देर बाद वो तय स्थल पर थे।
दरवाजे की घण्टी बजी। एक सुंदर युवती ने द्वार खोला। उन्होंने अपना परिचय उस युवती को दिया और बताया कि मिश्रा जी ने आपका पता दिया है। वो युवती समझ गयी और उन्हें अंदर ले गयी। दरवाजे की कुण्डी अंदर से बंद हो गयी। कुछ समय बाद सक्सेना साहब बाहर निकले। शर्ट के बटन बन्द कर रहे थे। बाल वाल भी कुछ बिखरे हुए थे। वो युवती हलकी सी मुस्कान लिए उन्हें देख रही थी। सक्सेना साहब ने कुछ पैसे उस युवती को दिए और चलने लगे। लेकिन अचानक उस युवती ने पीछे से आवाज मारी।
“सुनिये, आप मुझे पीतम पूरा चौक पे छोड़ देंगे प्लीज”।
ये सुन कर सक्सेना साहब चौक गये। कुछ सोचे और बोले: “ऐसा है मैडम… मेरे लिए यह संभव नही”।
“क्यों”? उसने पूछा।
“वो बात यह है कि वहां मुझे सब जानते हैं किसी ने तुम्हारे साथ देख लिया तो मेरी क्या इज़्ज़त रहेगी। मैं एक शरीफ आदमी हूँ और तुम चरित्रहीन”। यह कहते हुए सक्सेना साहब की गाडी अपने घर की और दौड़ने लगी।
#महेश कुमार माटा