काल और मैं.. एक विचित्र परिस्थिति
काल के विरुद्ध मैं हूँ मेरे विरुद्ध काल है हम दोनो को ही चलना है पर वो मेरे पीछे चल रहा है और मैं उसके आगे पर एक दिन वो मुझसे आगे होगा और मैं रुक जाऊंगा कुछ देर के लिये शांत हो जाऊंगा पर वो तो रुक भी नहीं सकता झुक भी नहीं सकता पर मैं शांत स्वर में सागर के किनारे आराम करूंगा और वो मेरे साथ आने को मचलेगा पर कुछ पल रुक कर बैठ नहीं पायेगा….