लेख

महिला सुरक्षा का विरोध क्यों

उत्तर प्रदेश में नव निर्वाचित योगी सरकार ने अपने चुनावी वादों को पूरा करते हुये राज्य की महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक एंटी रोमियो स्कवायड बनाया है, जो अपने स्तर पर उत्तर प्रदेश की सड़कों पर मंडराते मजनुओं को सबक सीखा रही है । योगी के इस एंटी रोमियो स्कवायड की सक्रियता से उत्तर प्रदेश के गलियों में घुमनेवाले मजनु गधे की सिंग की तरह गायब हो गए हैं और अब प्रदेश की महिलाएं खुद को पहले से बहुत अधिक सुरक्षित अनुभव कर रही हैं । उनमें सुरक्षा की भावना जाग्रत हुई है जो देश व प्रदेश दोनों के लिये ही शुभ संकेत हैं ।

मुख्यमंत्री के आदेश पर एंटी रोमियो स्कवायड सिर्फ उन्ही लोगों पर कारवाई कर रही है जो बेमतलब के लड़कीयों और महिलाओं को परेशान करते हैं । ये वही मनचले हैं जिनके लिए नारी एक भोग की वस्तु है । ऐसे मनचले खासकर स्कूल-कॉलेज,कोचिंग सेन्टर, गर्लस हॉस्टल और पार्कों के ईर्दगिर्द मंडराते हुए या अड्डा जमाते हुये देखे जाते हैं । हर हाल में इनका बस एक ही मकसद है और वह है नारी देह का भोग और अपनी इस हवस को पूरा करने के लिए ये लड़के दिन दहाड़े लड़कीयों और महिलाओं को परेशान करते रहते हैं। फिर महिलाओं द्वारा विरोध किये जाने पर ये उनके साथ जबरदस्ती तक करने में परहेज नहीं करते, जिससे उस बिचारी अबला की जिंदगी नर्क बन जाती है । कभी कभार थो वह अभागी न्याय की गुहार लगाते-लगाते और दुनियावालों के ताने सुनते-सुनते अपना जीवन समाप्त करने तक को मजबूर हो जाती है । और अंत में उसे और परिवार वालों एक ऐसे गुनाह की सजा भुगतनी पड़ती है जो उन्होंने किया ही नहीं है।

मजनुओं का आतंक यहीं तक सीमित नहीं है, बल्कि खुद को रोमियो की छट्ठी औलाद साबित करने वाले ये मनचले किसी लड़की द्वारा प्रेम प्रस्ताव ठुकराये जाने पर उस लड़की पर एसिड एटैक तक करने से नहीं कतराते । प्यार में असफल होने पर ये मनचले लड़की के चेहरे पर एसिड छिड़क कर उसे बुरी तरह झुलसा देते हैं । जिसके बाद बाकी की पूरी जिंदगी उसे तड़प-तड़प कर गुजारना पड़ता है । सड़कों पर उधम मचानेवाले ये लड़के असल में प्यार का वास्तविक अर्थ ही नहीं जानते । इनके लिए प्यार बस हवस मिटाने का जरिया है और ये सिर्फ मैं नहीं कहता बल्कि उत्तर प्रदेश में घटित अपराधों के ग्राफ रेकॉर्ड कहते हैं ।

मुझे याद है अभी हाल ही में कुछ महिनों पहले सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुई थी, जिसे देखकर पूरे देश में गुस्सा उबल पड़ा था । यूपी की कानून व्यवस्था को लेकर लोगों के मन में बड़ा सवाल था कि जब समाजवादी पार्टी के गढ़ कहे जाने वाले मैनपुरी की सड़कों पर छेड़छाड़ का विरोध करनेवाली महिला और उसके परिवार के साथ ऐसा सुलूक किया जा सकता है तो फिर बाकी यूपी का क्या हाल होगा ?

उत्तर प्रदेश में एक समय ऐसा भी रहा है जब प्रदेश की सड़को पर निकलने वाली महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर डरी सहमी सी रहती थी । पर अब ऐसा नहीं है । आज पूरे देश में उत्तर प्रदेश की महिलाएं खुद को सबसे अधिक सुरक्षित महसुस कर रहीं हैं और इसका पूरा श्रेय जाता है यूपी के वर्तमान के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को और उनके सहयोग से मनचलों को उचित सबक सीखा रही उत्तर प्रदेश की पूलिस को । और अपनी सकारत्मक सक्रियता के लिए वे बंदन योग्य हैं ।

पर यह देश का दुर्भाग्य है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए गठित एंटी रोमियो स्कवायड के विरोध में कुछ लोग ऐसे बयान दे रहें हैं जैसे एंटी रोमियो स्कवायड मनचलों को नहीं बल्कि उन बयान बहादुरों के सगे-संबधियों को परेशान कर रही है । अपने बयानों से मीडिया को आकर्षित करने में जुटे ये वही लोग हैं जो नोट और वोट के लिए तुष्टीकरण की सीमाएं लांघने को तैयार रहते हैं और अब वे योगी के विरोध के नाम पर मनचलों का खुला समर्थन करने पर उतारू हो आए हैं । वोट और नोटों के भूखे इन लोगों के अनुसार सायद महिलाओं पे हो रहे ये सभी अत्याचार सही हैं । इन महापुरुषों के अनुसार तो मनचलों को अधिकार है महिलाओं के साथ बदतमीजी करने का और अगर ऐसा नहीं है तो वे सिर्फ राजनीति की रोटी सेकने के लिए एंटी रोमियो स्कवायड का विरोध नहीं करते बल्कि वे इस साहसिक निर्णय के लिए योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते ।

कुछ लोगों को तो एंटी रोमियो स्कवायड से इतना गहरा घाव लगा है कि वे यूपी की सड़कों पर मंडराने वाले अपराधीयों की तुलना भगवान श्रीकृष्ण से कर रहे हैं । वे सायद ये भूल रहें हैं कि प्रभु श्रीकृष्ण ने कभी किसी महिला के साथ जबरदस्ती नहीं की थी और नाही उन्होंने गोपियों के साथ कुछ ऐसा वैसा किया था । कृष्ण ने कभी किसी स्त्री पे एसिड भी नहीं फेंके थे । अगर एक शब्द में कहूं तो कृष्ण के कारण कभी किसी स्त्री के मन असुरक्षा का भाव नहीं जगा था । वे स्वयं उनके रक्षक बनके खड़े रहते थे । और पांचाली द्रोपदी इसका जीवंत उदाहरण हैं । ऐसे में बदमाशों और मनचलों की तुलना भगवान कृष्ण से किया जाना एक सभ्य समाज में नितांत ही निंदनीय और घृणनीय है ।

राजनीति में विरोध का स्तर होना चाहिये । ऐसा नहीं कि सिर्फ किसी के विरोध के चक्कर में समाज को नुकसान पहुंचाने वाले कार्यों का भी समर्थन किया जाये । सबसे पहले तो समाज के प्रभावशाली व जिम्मेदार व्यक्तियों को कुछ भी बोलने से पहले हजार बार सोचना चाहिये कि उनकी कही बात का समाज पर क्या असर होगा । वे जो बोल रहें हैं वो समाज के हित में है भी या नहीं । समाज में जिम्मेदार नागरिक वही कहलाते हैं जो समाज में सकारत्मक बदलाव के लिए प्रयास करते हैं । समाज को गलत रास्ते की ओर ढकेलने वाले तो असुरों की गिनती में आते हैं । अतः समाज के किसी भी विषय पर अपनी टिप्पनी करने से पहले हमें सजग होने की जरूरत है ।

एक बात सभी को गांठ बांध लेनी चाहिये कि जिस समाज में महिलाएं असुरक्षित होती हैं वह समाज संसार में सबसे अधिक उपेक्षा का पात्र बनता है । अगर हम वास्तव में चाहते हैं कि हमारा देश तरक्की करे, वह विश्व में एक महाशक्ति के रूप में उभरकर सामने आए तो इसके लिए हमें अपने देश की महिलाओं के मन में सुरक्षा का भाव जगाना होगा । हमें उन्हें विश्वास दिलाना होगा कि इस समाज में वे भी हम मर्द जितना ही सुरक्षित हैं। और अगर ये संभव हो सका तब जाकर कहीं महिलाएं घरों से निकलने में संकोच करना छोड़ेंगी, जिससे देश में छुपी हुई प्रतिभाएं सामने आ सकेंगी और अपना ये देश अधिक तेजी से प्रगति के पथ पर आगे बढ़ेगा ।

ऐसे में अब महिलाओं को भी चाहिए कि वे एंटी रोमियो स्कवायड का विरोध करनेवालों को माकूल जवाब दें । अब मनचलों के समर्थन में बयान देनेवालों को उनकी औकात बताने का समय आ गया है । ताकी मनचलों का हौसला बढ़ानेवालों को महिला शक्ति का पूर्ण आभास हो सके और वे अपनी हदों में रहने को मजबूर हो जाएं । याद रखिये कि ये लड़ाई योगी बनाम विरोधीयों की नहीं है बल्कि ये लड़ाई है महिला सुरक्षा बनाम महिला विरोधीयों की । और यहां जो लोग एंटी रोमियो स्कवायड का विरोध कर रहें हैं वे असल में महिला सुरक्षा का विरोध कर रहें हैं, जिसके फलस्वरूप प्रदेश में सक्रिय मनचलों का उत्साह पहले से अधिक बढ़ जायेगा और प्रदेश में महिला अपराधों के विरूद्ध जारी ये लड़ाई अधिक जटिल हो जायेगी । जिसका सीधा प्रभाव एक बार फिर से महिलाओं की सुरक्षा पर पड़ेगा ।

मुकेश सिंह

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl