जिंदगी
हॅसो खुलकर
करो मस्ती मिलकर
दो दिन की है जिंदगी
जी लो खुशीपूर्वक
कभी न करो गिला शिकवा
न ही किसी से बैर करो
भाई चारे का सबंध बनाकर
एक साथ मिलकर रहो
बाँटो खुशियाँ
जितना तुमसे हो सके
ताकि दुख पहुँचाने की बात
तु मन मे न कभी सोच सके
किसी ने सच ही कहा है
कर भला तो हो भला
तो फिर क्यो नही
दूसरो की भला कर
जिंदगी को सफल कर सके।
— निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’