कविता

जीवन के अनमोल पल

जीवन के एक-एक पल को
व्यर्थ कभी न जाने दो
है अनमोल यह जीवन 
इसे कुछ कर दिखाने दो
गूढ रहस्य है इसका
अलग इसका आस्तित्व है
कर्म  करना ही जीवन का
सबसे बड़ा धर्म हैं
ऐसा कुछ कर  जाओ
की जग मे तेरा नाम हो
तु  रहे या न रहे 
सबके लब पर तेरा नाम हो|
निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४