पत्रकारिता में एकजुट होने की जरूरत
भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है और लोकतांत्रिक राष्ट्र होने के नाते हमारे यहां एक लिखित संविधान है जो राष्ट्र परिचालना का आधार है । हमारे देश का कानून संविधान से चलता है, ना की किसी धार्मिक सोच व कट्टरवाद से और ऐसा इसलिये है क्योंकि इस देश में बहुसंख्यक जनसंख्या हिंदूओं की है । हिंदू जन्म से ही उदारवादी होते हैं । वे अमन चाहते हैं । बिन बात किसी पे हमला करना ये हिंदुत्व के विरूद्ध रहा है । हिंदूओं ने आदि काल से ही देश की समृद्धि, विकाश और सद्भावना के लिए काफी कुछ सहा है । और इसका सबसे बड़ा उदाहरण पाकिस्तान है । यह सर्व विदित है कि आज का पाकिस्तान चंद वर्षों पहले हिन्दुस्तान का अभिन्न अंग था । फिर देश में मुगल आये और यहीं बस गये । फिर क्या था समय ने अपना रंग दिखाया और आज दुनिया के नक्से में आतंकवाद का पर्याय बन चुका देश पाकिस्तान फलफूल रहा है । ये भी हिन्दूओं की ही महानता थी कि उन्होंने अमन-चैन के लिए अपनी मातृभूमि का एक हिस्सा उन्हे सौगात में दे दी । हिंदूओं के आक्रमक न होने का ही नतीजा है कि आज हमारे आराध्य श्रीरामचन्द्रजी की जन्मभूमि एक विदेशी आक्रमणकर्ता द्वारा निर्माण किये गये अनैतिक मस्जिद के कारण विवादों में है ।
हमारे संविधान ने विभिन्न अधिकारों के साथ ही हम भारतीयों को धर्म की और अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार दिया है । ये अधिकार हम हिन्दूओं को भी अपनी पवित्र धामों पर जाकर पुजा करने की आजादी प्रदान करता है तो वहीं हिंदूओं पर हो रही अवर्नणीय अत्याचारों को जनमानस के सामने रखने की भी स्वतंत्रता प्रदान करता है । इस देश में सभी को हक है कि वो कानून के दायरे में रहकर अपने अधिकारों का भोग करे । फिर ऐसे में देश की एक ऐतिहासिक नगरी संभल में हो रहे गैरकानूनी कार्यों को अपने चैनल में दिखाये जाने के कारण तथा वहां रह रहे अल्पसंख्यक हिन्दूओं के हितों की बात कहने पर उत्तर प्रदेश स्थित संभल के जामा मस्जिद के एक स्वयंभू धर्मगुरू द्वारा देश के राष्ट्रवादी पत्रकार को हत्या की धमकी दिया जाना बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है । और उससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है खुद को लाचार समझने वाले प्रसाशन का इस विषय में आंखें व कान बंद किये रखना ।
बात दरासल एक टीवी चैनल के मुख्य संपादक को जान से मारने की धमकी देने की है । ये संपादक कोई और नहीं बल्कि देश के प्रखर राष्ट्रवादी सामाचार चैनल सुदर्शन न्यूज के मुख्य संपादक सुरेश चौव्हानके हैं । सुरेश चौव्हानके राष्ट्रवादी विचारधारा के व्यक्ति हैं और वे समय समय पर देश में हो रहे अन्याय व अत्यचारों के खिलाफ आवाज उठाते रहें हैं । वोटबैंक की राजनीति के लिए धर्म विशेष का राजनैतिक पार्टियों द्वारा तुष्टिकरण किये जाने के मुद्दे को भी उन्होंने प्रमुखता से उठाते हुये बहुसंख्यकों में सजगता पैदा की है । अपने प्रयासों से उन्होंने सोये हुये बहुसंख्यकों को जगाने का बीड़ा उठाया और उसीका परिणाम है कि आज देश में मोदी लहर तथा उत्तर प्रदेश में योगी लहर चल रही है ।
उनकी पत्रकारिता का अंदाज निराला है । वे किसी के दबाव या पैसों की लालसा में आकर अपनी विचारधारा से सौदा नहीं करते । वो बड़ी बेबाकी से अपनी बात कहते हैं और सायद इसीलिये वे अन्य मीडिया घरानों के लिए ईर्ष्या के पात्र बने हुये हैं । तभी तो एक चैनल के मुखिया होने के साथ साथ एक पत्रकार के रूप में अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन की वजह से उन्हे किसी इमाम द्वारा हत्या करने की धमकी दी जा रही है और इतना सबकुछ होने के बावजूद बाकी के मीडिया हाऊसों ने इस विषय को लेकर कोई बात नहीं की और नाही इसकी निंदा की । एक पत्रकार को हाथ-पांव तोड़कर हत्या करने की खुलेआम धमकी दी जा रही वीडियो वायरल हो रही है और पूरा का पूरा मीडिया जगत मौन है । ये खामोशी प्रतिस्पर्द्धा के काल में आपसी बैमण्ष्य को उजागर करती है; जबकि नैतिकता कहती है कि इस घटने को लेकर सुरेश चौव्हानके को सभी मीडिया घरानों का खुला समर्थन मिलना चाहिये था,जिससे अनागत भविष्य में देश के किसी भी पत्रकार पर कोई गुंडा हमले की हिमाकत नहीं करता ।
सुरेश चौव्हानके को प्रशासन से भी उपयुक्त समर्थन प्राप्त होना चाहिये था । चूंकि मामला पूलिस वालों पे हुये हमले से ही आरंभ हुई है तो ऐसे में ये स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस घटने को संज्ञान में लेते हुये निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए सुरेश चौव्हानके की सुरक्षा की उचित व्यवस्था करे । साथ ही एक और बात याद रखनी चाहिये कि सुरेश चौव्हानके हिन्दुत्ववादियों के लिए हीरों हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा में हुई चूक या उनपे हुआ कोई भी हमला कट्टर हिन्दुत्ववादियों को आक्रमक बनाने का काम करेगा जिससे देश-प्रदेश की कानून व्यवस्था बिगड़ेगी और देश पे एक बार फिर से असहिष्णु होने का आरोप लग सकता है ।
व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा को भूलाकर मीडिया हाऊसों को भी अब आगे आना चाहिये और इस खबर को गंभीरता से जनता की अदालत में रखना चाहिये जिससे देश के सभी छोटे-बड़े मीडिया घराने और उससे संबधित लोग सुरक्षित रहें । मीडिया वालों को भेदभाव भूलाकर एक साथ खड़ा होना होगा तभी वे और अधिक सशक्त हो सकते हैं । सभी को समझने की दरकार है कि कट्टरवादियों का विरोध न किये जाने से कल किसी अन्य कट्टरवादि सोच का शिकार कोई अन्य पत्रकार बन सकता है । और अंत में इस तरह के हमलों से लोकतंत्र का चौथा स्तंभ ही कमजोर होगा जिससे लोकतंत्र पर दबाव बनेगा या फिर लोकतंत्र खतरे में आ जायेगा ।
सुरेश चौव्हानके जैसे निडर तथा स्पष्टवादी पत्रकार के साथ उनके अनेकों चाहने वाले खड़े हैं । पर उनको लेकर संभल के कट्टरवादी मौलाना द्वारा की गई टिप्पनी सर्वथा निंदनीय है और ऐसे में सभी को एक होकर सुरेश चौव्हानके को दी गई धमकी को गंभीरता से लेते हुये इसका जोरदार विरोध करना चाहिये जिससे मीडिया पर लगातार हो रहे हमले कम हो सके और मीडिया से जुड़े लोग अपना दायित्व पूरी निष्ठा से निभाते हुए देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए अडिग रहें । याद रखिये कि जब तक देश में मीडिया सबल है तब तक देश का लोकतंत्र सुरक्षित है ।
मुकेश सिंह