गीत/नवगीत

परिन्दे की उड़ान

ऐ परिन्दे! उड़, अभी तेरी उड़ान बाकी है;
नजर ऊपर तो उठा, अभी पूरा आसमान बाकी है।

निर्मल-नील-गगन में गुनगुनाता चल;
नित्य-नए सफलता के गीत गाता चल।
जाना है जहां तुझे, अभी वो मुकाम बाकी है;
नजर ऊपर तो उठा, अभी पूरा आसमान बाकी है।

ओस की चादर को चीर के आगे निकल;
वृष्टि और उष्ण-अनिल के सामने ना हो विफल।
बनानी है जो तुझे, अभी वो पहचान बाकी है;
नजर ऊपर तो उठा, अभी पूरा आसमान बाकी है।

ऐ ‘अनुराग’! तू भी इस परिन्दे के साथ चल;
दुःखियों का सहारा बन, इनके उत्कर्ष के लिए मचल।
क्योंकि तेरा भी कुछ है, जो अभी अरमान बाकी है;
नजर ऊपर तो उठा, अभी पूरा आसमान बाकी है।

ऐ परिन्दे! उड़, अभी तेरी उड़ान बाकी है;
नजर ऊपर तो उठा, अभी पूरा आसमान बाकी है।

अनुराग कुमार

अनुराग कुमार

नाम- अनुराग कुमार (नवोदित कवि) सदस्य- भारतीय साहित्य उत्थान समिति विधा- श्रृंगार, ओज आदि। पद- राजस्व लेखपाल शिक्षा- बी०एस-सी० (गणित) जमतिथि-19/09/1994 पिता का नाम- श्री रामदास साहित्यिक उपलब्धि- कई समाचार पत्रों व साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। संगम नवांकुर सम्मान, युवा साहित्य सम्मान, मानव जागरूकता सम्मान, मुंशी प्रेमचंद स्मृति सम्मान। पता- ग्राम-सिसवा, पोस्ट-खुटहा बाजार, जिला- महाराजगंज पिन- 273303 उत्तर प्रदेश मो०न०-8004292135 Email: [email protected]