सामाजिक

सत्य

सत्य क्या है? सत्य यानि जो है समकालिन । जो हमने देखा है, जो समझा है, जो हम जी रहे हैं । शायद वही सत्य है ।

सत्य यानि जो गहन हैं, जिसे किसी कालखंड से कोइ भी लेनदेन नहीं ।
जो समझ में आता है या फिर आता ही नहीं !

फिर भी – जिसका अहसास होता है हमें । जिसे हम बयाँ नहीं क सकतें
मगर हमारे बीच जो है, हमारे साथ है । हमें हर पल सीखाता है, गिराता है कभी और आगे भी बढाता है । सोचने-समझाने पर मजबूर करता है, फिर भी सत्य है ।

असत्य भी तो सत्य का हिस्सा हैं क्योंकि उनकी उपस्थिति भी सत्य है । उनका भी अस्तित्व है । आख़िर ये सत्य क्या है?

जो हर पल हमें साथ देकर भी हमसे अलिप्त रहें । निराकार अस्तित्त्व के साथ
पलपल हमें डराता रहे । श्रद्धा, भक्ति और विश्वास को दिखाकर अपनी मनमानी करें । सत्य, सत्य है या भ्रामक? ये भ्रामकता के बीच भी अपने ही आँखें दिखाते है हमें । नींद में भी सत्य है और सपने में भी । क्यूंकि सपने कभीकभार सच बन जाते हैं । तब यही सत्य हँसता है हमारे सामने और साबित करता है खुद को । मेरा लिखना, आपका पढ़ना भी सत्य है ।

सत्य यानि तुम, सत्य यानि मैं और हमारे अंदर रही वह आत्मा । जो इस सत्य पर सोचने को मजबूर करती है । यही सत्य है कि – सत्य है । मैं हूँ और तुम हो….!!

–- पंकज त्रिवेदी

पंकज त्रिवेदी

जन्म- 11 मार्च 1963 पत्रकारिता- बी.ए. (हिन्दी साहित्य), बी.एड. और एडवांस प्रोग्राम इन जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेशन (हिन्दी) –भोपाल से साहित्य क्षेत्र- संपादक : विश्वगाथा (त्रैमासिक मुद्रित पत्रिका) लेखन- कविता, कहानी, लघुकथा, निबंध, रेखाचित्र, उपन्यास । पत्रकारिता- राजस्थान पत्रिका । अभिरुचि- पठन, फोटोग्राफी, प्रवास, साहित्यिक-शिक्षा और सामाजिक कार्य । प्रकाशित पुस्तकों की सूचि - 1982- संप्राप्तकथा (लघुकथा-संपादन)-गुजराती 1996- भीष्म साहनी की श्रेष्ठ कहानियाँ- का- हिंदी से गुजराती अनुवाद 1998- अगनपथ (लघुउपन्यास)-हिंदी 1998- आगिया (जुगनू) (रेखाचित्र संग्रह)-गुजराती 2002- दस्तख़त (सूक्तियाँ)-गुजराती 2004- माछलीघरमां मानवी (कहानी संग्रह)-गुजराती 2005- झाकळना बूँद (ओस के बूँद) (लघुकथा संपादन)-गुजराती 2007- अगनपथ (हिंदी लघुउपन्यास) हिंदी से गुजराती अनुवाद 2007- सामीप्य (स्वातंत्र्य सेना के लिए आज़ादी की लड़ाई में सूचना देनेवाली उषा मेहता, अमेरिकन साहित्यकार नोर्मन मेईलर और हिन्दी साहित्यकार भीष्म साहनी की मुलाक़ातों पर आधारित संग्रह) तथा मर्मवेध (निबंध संग्रह) - आदि रचनाएँ गुजराती में। 2008- मर्मवेध (निबंध संग्रह)-गुजराती 2010- झरोखा (निबंध संग्रह)-हिन्दी 2012- घूघू, बुलबुल और हम (હોલો, બુલબુલ અને આપણે) (निबंध संग्रह)-गुजराती 2014- हाँ ! तुम जरूर आओगी (कविता संग्रह) प्रसारण- आकाशवाणी में 1982 से निरंतर कहानियों का प्रसारण । दस्तावेजी फिल्म : 1994 गुजराती के जानेमाने कविश्री मीनपियासी के जीवन-कवन पर फ़िल्माई गई दस्तावेज़ी फ़िल्म का लेखन। निर्माण- दूरदर्शन केंद्र- राजकोट प्रसारण- राजकोट, अहमदाबाद और दिल्ली दूरदर्शन से कई बार प्रसारण। स्तम्भ - लेखन- टाइम्स ऑफ इंडिया (गुजराती), जयहिंद, जनसत्ता, गुजरात टुडे, गुजरातमित्र, फूलछाब (दैनिक)- राजकोटः मर्मवेध (चिंतनात्मक निबंध), गुजरातमित्र (दैनिक)-सूरतः गुजरातमित्र (माछलीघर -कहानियाँ) सम्मान – (१) हिन्दी निबंध संग्रह – झरोखा को हिन्दी साहित्य अकादमी के द्वारा 2010 का पुरस्कार (२) सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन में तत्कालीन विज्ञान-टेक्नोलॉजी मंत्री श्री बच्ची सिंह राऊत के द्वारा सम्मान। संपर्क- पंकज त्रिवेदी "ॐ", गोकुलपार्क सोसायटी, 80 फ़ीट रोड, सुरेन्द्र नगर, गुजरात - 363002 मोबाईल : 096625-14007 [email protected]