मेरा नाम होने लगा है
शहर की गलियों में चर्चा आम होने लगा है।
एक तेरे नाम से अब मेरा नाम होने लगा है ।।
वो जो बैठे थे अब तलक मुँह पर ताले डाले ।
ज़ुबाँ से उनकी भी अब ये काम होने लगा है।।
कोई बोला निगाहन और कोई जुबानी बोला।
हवाओं का रुख़ कुछ बेलगाम होने लगा है ।।
कौन कहता है बेकारी भरी है इस दुनिया में ।
हर तरफ हर शहर रोज़ ही झाम होने लगा है।।
वो चौबारे जो एक मुद्दत पड़े रहे थे सुनसान ।
मुद्दा ए चर्चा ए इश्क वो मुकाम होने लगा है ।।
शौक ए ज़माना की बात क्या कहें अब तुमसे।
कल के अखबार ख़बर ए इंतजाम होने लगा है ।।
प्रियंवदा अवस्थी©2015