कैसे कहूँ
कैसे कहूँ
तुझे याद करके रोना भी नही चाहता
पाकर अब
फिर से खोना भी नही चाहता
दूरी सही नही जाती
नज़दीकियों का मन करता है
तुझसे बिछड़कर
अब अकेला सोना भी नही चाहता
क्या तुम जानती हो
मेरे सींने में जो दिल है
वो सिर्फ
तुम्हारे लिए धड़कता है
थाम लो इसको
अपने कोमल हाथो से
दिल को दिल ही रहने दो
इसका मैं खिलौना नही चाहता
बन जाओ मेरी
सदा सदा के लिए
तुमसे अब एक पल भी
जुदा होना नहीं चाहता
कैसे कहूँ
तुझे याद करके रोना भी नही चाहता
पाकर अब
फिर से खोना भी नही चाहता