गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

बेसबब वह वफ़ा नहीं करते ।
खत मुझे यूँ लिखा नहीं करते ।।

है मुहब्बत से वास्ता कोई ।
उसके आँचल उड़ा नहीँ करते ।।

लूट जाते हैं जो मेरे घर को ।
गैर वह भी हुआ नहीं करते ।।

बात कुछ तो जरूर है वर्ना ।
तुम हक़ीक़त कहा नही करते ।।

न्याय बिकता है इस ज़माने में ।
बिन लिए फैसला नही करते ।।

वह गवाही भी बिक गई कब की ।
अब भरोसा किया नही करते ।।

जश्न लिखता हयात को बन्दा ।
जिंदगी से डरा नहीँ करते ।।

है भरोसा जिन्हें यहां खुद पर ।
वह खुदा से दुआ नहीं करते ।।

थोड़ी तहज़ीब भी जरूरी है ।
महफिलों से उठा नहीं करते ।।

और चेहरा खराब होता है ।
दाग ऐसे धुला नहीं करते ।।

पूछिये रात माजरा क्या था ।
यूँ ही काजल बहा नहीं करते ।।

टूट जाये कहीं न् दिल कोई।
इस तरह ख़त लिखा नहीं करते ।।

कुछ तो अय्याशियां रहीं होंगी ।
नाम यूँ ही मिटा नहीं करते ।।

है खुमारी तमाम चेहरे पर ।
कौन कहता नशा नहीं करते ।।

जो हिफ़ाज़त में हुस्न रखते हैं ।
रहजनों से लुटा नहीं करते ।।

–नवीन मणि त्रिपाठी

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक [email protected]