“दोहे”
प्रथम पूज्य गणेश हैं, नन्दन शिवा महेश
आसन आय विराजिए, भागे दुख व क्लेश॥-1
दोहा ऐसी है विधा, रचे छंद अरु सार
तेरह ग्यारह पर यति, स्वर सुधा अनुसार॥-2
मानव तेरा हो भला, मानवता की राह
कभी न दानव संग हो, करे न मन गुमराह॥-3
पर्यावरण सुधार लो, सबके साधे खैर
जल जीवन सब मानते, जल से किसका बैर॥-4
पर्यावरण यदि शुद्ध हो, नाशे रोग विकार
प्रेम से सींचो बाग वन, हो जाये उद्धार॥-5
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी