कविता

“चौपाई छंद”

विनय करूँ कर जोरि मुरारी, पाँव पखारो जमुन कछारी

नैना तरसे दरस तिहारी, गोकुल आय फिरो बनवारी॥-1

ग्वाल बाल सब नगर नगारी, सूनी यह यशुमती अटारी

गिरिवर गोवर्धन हितकारी, जल दूषित पथ विकल करारी॥-2

कलश किलोल न जुगत कुम्हारी, नहि विसरत छवि मोहक न्यारी

नहि कान्हा नहि रगर मझारी, कत सुध मधुबन ललक चितारी॥-3

श्री सह राधा कत पट गोरी, कत गोपिन की चाह चकोरी

कहाँ गए हे नवल बिहारी, आय करो प्रभु धरा सुखारी॥-4

भगत भजन की धूनी नगरी, मथुरा मथनी झूला रसरी

बरसाने की चूड़ी बखरी, हे मनिहारी बलय पकड़ री॥-5

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ