मंहगी होती शिक्षा
देश बदला
देश का स्वरूप
बदला
मैकाले की आधार बनी
शिक्षानीति का
स्वरूप बदल गया
गाँधी की बुनियादी शिक्षा
का कोई
मतलब न रहा
सरकारी और गैर सरकारी
का भेद बढ़ा
बेरोजगारों का टोला
तैयार हुआ
ग्रामीण क्षेत्र मे विद्यालय
खुलेगें
शिक्षा के स्थान
पर मीड डे मील करेंगे
देश का
भविष्य बनाने के साथ
हर काम करेंगे
सर्वशिक्षा अभियान ,
सबको पढ़ाओ
इन नारों की पोल खोलेंगे
शिक्षा हुई मँहगी
जितनी मिठाई की दुकानें
नहीं
उससे ज्यादा दुकानें
शिक्षा की
देख लगता देश
मेरा उन्नति कर रहा है
सत्ता के गलियारों में
शोर बहुत
सबकों पढ़ाओ,
सबको शिक्षित करो
न हो कोई फेल,
सबको पास करो
लगता है देख
देश गड्ढे में जा रहा
डॉ मधु त्रिवेदी