हो गया
गजल
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यार हमसे बिछड़ अधमरा हो गया
हम न जाने कि क्यों अनमना हो गया
अब खता कोन सी हो गयी है तभी
दिन बहुत से यही सिलसिला हो गया
चाह जो आपसे हो गयी है हमे
मैं जुदा आज हो कर मरा हो गया
हो गया है इश्क आपसे जब हमें
याद में आज मैं बावरा हो गया
हर कदम छाँह बनकर चलेगा तभी
साथ तेरे रहूँ फैसला हो गया
डॉ मधु त्रिवेदी