“ॐ जय बाबा बद्री विशाल की”
“दोहे”
गंगोत्री यमुनोत्री, बद्रीनाथ केदार
चारोधाम विराजते, महिमा शिव साकार॥-1
माँ पार्वती ने दिया, अपना घर उपहार
इस बैकुंठ विराजिए, ममता विष्णु दुलार॥-2
स्वर्गलोक की छावनी, देव भूमि यह धाम
ब्रम्हा विष्णु महेश को, बारंबार प्रणाम॥-3
दर्शन करके तर गए, पुर्वज सहित अनेक
सकल कामना सिद्धता, आए बुद्धि विवेक॥-4
सकल तीरथ बार बार, एक बार हरि धाम
प्रेम से रसना आरती, बोल हरी का नाम॥-5
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी