मुक्तक/दोहा

“ॐ जय बाबा बद्री विशाल की”

“दोहे”

गंगोत्री यमुनोत्री, बद्रीनाथ केदार

चारोधाम विराजते, महिमा शिव साकार॥-1

माँ पार्वती ने दिया, अपना घर उपहार

इस बैकुंठ विराजिए, ममता विष्णु दुलार॥-2

स्वर्गलोक की छावनी, देव भूमि यह धाम

ब्रम्हा विष्णु महेश को, बारंबार प्रणाम॥-3

दर्शन करके तर गए, पुर्वज सहित अनेक

सकल कामना सिद्धता, आए बुद्धि विवेक॥-4

सकल तीरथ बार बार, एक बार हरि धाम

प्रेम से रसना आरती, बोल हरी का नाम॥-5

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ