कविता कविता : पूछो वेदांत विप्लव 30/04/2017 चाँद क्या है रात से पूछो जमीं क्या है आसमान से पूछो दर्द क्या है इश्क के अरमान से पूछो हार गया जो मै इश्क के आराम से पूछो हार गए इश्क मे भी हम समाज से पूछो जी रहे है क्यो हम हमारे कलाम से पूछो