गजल
मुहब्बत में गले मिलती गमों से
धड़कती आज सबकी धड़कनों से
जहाँ सारे हुआ है नाम रोशन
बहे आँसू बहुत पर लोचनों से
रिझाया दर्शकों को फिल्म से जब
दिखे तू चाँदनी सी महफिलों से
नशे में डूब अपने को भुलाया
कभी फिर से न उड पाई परों से
हमेशा याद में बसती सभी के
सजाया शायरों ने जब सुरों से
सखा ये जाम तेरा हो गया है
मगर तू छूटती कैसे साँकलों से
हवाएँ गुनगुनायेगी तुझे जब
गूँजे मीना सदा इन बादलों से
डॉ मधु त्रिवेदी