दिन : लौट के आते हैं
आज सतीश ने जीवन में पहली बार शराब पी थी और बूढ़ा सतीश शराब के नशे में पलंग पर लेटे-लेटे याद कर रहा था अपने बचपन को , अपने जीवन को । धीरे – धीरे उसकी आँखें नम होती गईं और कुछ देर बाद उसकी आँखों से एक सुरा धारा निकल पढ़ी और फिर जैसे उसकी आँखों से मधु के प्याले के प्याले छलक पढ़े ।
ऐसा क्या हुआ था कि आज सतीश को ये दिन देखना पढ़ रहा था ; उसे याद आया कि उसने एक बार अपने पिता को जबाव दिया था तो उसके पिता ने उससे कहा था कि आज माँ बाप हैं इसलिए इठला रहे हो जिस दिन तुम बाप बन जाओगे तब पता चलेगा; और आज उसके बेटे ने न सिर्फ उसे आँख दिखाई बल्कि उस पर हाँथ तक उठा दिया । वो तो गनीमत रही उसकी माँ की जिन्होंने ये अनर्थ होने से रोक लिया । सतीश की गलती बस इतनी थी कि आज साधारण से दिखने वाले सतीश ने अपने अमीर बेटे की बर्थडे पार्टी में उसके साथियों, मित्रों और कलीगों के सामने भावुक होकर उसे गले लगा लिया था पर बेटा महँगे सूट-बूट पहने था और इसे ये सब पसंद नहीं था ।
– नवीन कुमार जैन