“दोहा”
खड़ा हुआ हूँ भाव ले, बिकने को मजबूर
बोलो बाबू कित चलू, दिन भर का मजदूर॥-1
इस नाके पर शोर है, रोजगार भरपूर
हर हाथों में फावड़ा, पहली मे मशहूर॥-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
खड़ा हुआ हूँ भाव ले, बिकने को मजबूर
बोलो बाबू कित चलू, दिन भर का मजदूर॥-1
इस नाके पर शोर है, रोजगार भरपूर
हर हाथों में फावड़ा, पहली मे मशहूर॥-2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी