लोक गीत
हवा चली बादल ने ली अंगड़ाई,
गोकुल में नाचे मोर,
मिलने आओ सुंदर शामलिया,
आप मिलने न आए क्यो?
नहीं आओगे तो नंदजी की सौगंध, मिलने……
आप गोकुल में गौआ चराते,
आप पहले से ही हे चोर, मिलने….
आप काली कम्बल रखते,
आप चरवाहा के नाती, मिलने….
आप ब्रज में बाँसुरी बजाते,
आप गोपीओके दिल चुराते, मिलने….
आप गुलाब नरसिंह के स्वामी शामलिया,
हमे गोदी लेके खेलाया रास, मिलने…
गुलाब चंद पटेल
कवि लेखक अनुवादक
नशा मुक्ति अभियान प्रणेता
गुजरात गांधीनगर
Mo 09904480753