ग़ज़ल
सदा मेरी कुछ असर दिखाती तो होगी
याद मेरी तुम्हें भी कभी सताती तो होगी
आँसू, आहें, दर्द गर पाया है इश्क़ में मैंने
आँख तेरी भी मोती बिछाती तो होगी
गुनगुनाये थे जो नग्मे कभी साथ में हमने
गीत वही मोहब्बत के फ़िज़ा गाती तो होगी
टूटकर बिखरा होगा जब भी आईना हाथों से
जर्रे-जर्रे में तस्वीर मेरी नजर आती तो होगी
गाती होगी कोयल जब भी सावन के गीत
टूटे दिल का फ़साना वो भी सुनाती तो होगी
निकलती होगी जब चाँद की बाहों में शरमाकर
वो चांदनी भी दिल तुम्हारा जलाती तो होगी
माना खुद को खोया मैंने तुम्हें पाने की खातिर
साथ तुम्हारा छोड़ परछाई कभी जाती तो होगी।
— प्रिया