आईडिया
भोलू गांव का भोला भाला दिहाड़ी पर मजदूरी करने वाला एक निहायत शरीफ इंसान था। कभी काम मिलता कभी फाके करने पड़ते । परिवार में चार बच्चे और पत्नी थी । बच्चे जब कभी भूख से बिलबिलाते तो भोलू को अपनी लाचारी पर रोना आता । इसी तरह दिन कट रहे थे ।
एक दिन भोलू का एक मित्र जो नौकरी की तलाश में महानगर चला गया था, भोलू के पास आया और उसका हालचाल पूछा । भोलू ने अपना दुखड़ा उसे सुनाया मित्र को बहुत आश्चर्य हुआ, कहने लगा भोला आज के जमाने में तू इस तरह से भूखा मर रहा है बड़े खेद कि बात है । अच्छा आज तुझे मैं ऐसी ऐसी बाते समझाऊंगा कि अगर तूने उस पर अमल किया तो वह दिन दूर नहीं जब तेरे पास यह झोंपड़ा नहीं पक्का घर होगा और तू दूसरों को काम दे सकेगा ।
भोलू कि आँखे आश्चर्य से फैल गयी ऐसा कैसे संभव है मेरे जैसा अनपढ़ गवार और पक्का घर मैं दूसरों को काम दे सकूंगा, असंभव ।
मित्र ने उसे समझाया ” तूने प्रधान मंत्री कि बात सुनी ? वो कह रहे थे आपके पास आईडिया होना चाहिए आप लाखों रुपैये कमा सकते हैं ”
मित्र ने उसे भेद कि कई बातें बताई और कहा कि तू तैयार है ? अंधे क्या चाहे दो आँखे, भोलू झटपट तैयार हो गया ।
मित्र उसे एक चर्च में ले गया बाहर आया तो भोलू की जेब में रुपैये और हाथ में सब्जियां फल और नए कपडे थे । भोलू अब भोलू नहीं जॉन बन गया था । उसने अपनी पत्नी को चमेली से केल्ली बना दिया बच्चे बबलू से ब्रैडी चिंटू से पिंटो मुन्ना से मिल्टन डब्लू से डेनियल बन गए । अब घर में खाने पीने कि कोई कमी नहीं रही उसने अपने दोस्त की बात कि “पहले भूख फिर भगवान्” मानकर अपने जीवन में परिवर्तन कर लिया था ।
अब वो और उसका परिवार नियमित रूप से चर्च जाने लगा । चर्च वाले ही उसे कुछ काम भी दे देते । कुछ दिन बाद भोलू को वो लोग कुछ कम महत्त्व देने लगे । भोलू अब भोला नहीं था ।
एक दिन वह पास वाले गांव के एक मौलवी से मिला दो चार दिन बाद जॉन भाई, भाई जॉन बन गए पत्नी केली से कालिम बच्चे ब्रैडी से बशीर पिंटो से परवेज मिल्टन से मुनीर डेनियल से दिलावर बन गए । दिनों दिन साम्राज्य बढ़ता गया, खुशहाली बढ़ती गयी । खाने पीने कि बात तो एक और अब तो भाई जॉन कि पौ बारह होने लगी ।
इलेक्शन पास आ गए विधायक के लिए खड़े प्रत्याशी भाईजॉन के पास वोट के लिए पहुँचने लगे । भोलू अब एक सौदागर हो गया था । कोंग्रेसियों के ऑफिस पहुँच गया । बाहर आया तो हाथ में कांग्रेसी झंडा और खादी के कपडे थे । थोड़ी देर में पत्नी को भी ले आया । वह भी हाथ में झंडा लेकर बाहर आ गयी । बड़े नेता जी भाषण देने दिल्ली से पधारे थे भीड़ में भाई जॉन और पत्नी झंडे लहरा रहे थे । भाई जॉन अपने गांव के मित्रों को भी ले आये और उन्हें भी झंडे पकड़ा दिए मित्र कि बात सच हो गयी कि दूसरों को भी काम दे सकेगा । किसी ने पूछा भाई जॉन कांग्रेस में क्यों ? भाई जॉन ने कहा कि आप किस पार्टी से हो ? दुसरे दिन भाईजॉन उनके ऑफिस पहुँच गए । भोलू से जॉन भाई, जॉन भाई से भाई जॉन कांग्रेस छोड़ अब नई पार्टी के साथ थे । खुश हाली बढ़ती जा रही थी झोपड़े कि जगह भाई जॉन ने ईंटों का मकान बना लिया था । घर कि सजावट के लिए कुछ न कुछ तो करना पड़ेगा । कोई आईडिया तो लगाना पड़ेगा ।
भाई जॉन ने अब फिर से मंदिरों के आस पास घूमना शुरू किया । एक पंडित जी के पास पहुँच हिन्दू धर्म को महान बताया । पंडित जी की कृपा से भाई जॉन जनार्दन बन गया पत्नी कालिम से कलावती बन गयी । घर कि सजावट में कोई कसर बाकी नहीं रही क्योंकि मित्र के दिए आईडिया ने उसकी काया कल्प कर दी थी ।