खो गये शब्द
जाने कहाँ खो गये
खो गये हैं शब्द
जिनको पढ़कर कभी
हुआ करती थी सुबह
प्रथम किरणों के संग
ओस की बूंदों के भीतर
खो गये है वे शब्द
जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक
कर देते थे जिवंत
ख़्वाब सजाया करते थे
खो गये हैं शब्द
जाने कहाँ किस ओर गये ।
जाने कहाँ खो गये
खो गये हैं शब्द
जिनको पढ़कर कभी
हुआ करती थी सुबह
प्रथम किरणों के संग
ओस की बूंदों के भीतर
खो गये है वे शब्द
जो सूर्योदय से सूर्यास्त तक
कर देते थे जिवंत
ख़्वाब सजाया करते थे
खो गये हैं शब्द
जाने कहाँ किस ओर गये ।