कविता

माँ सिर्फ माँ

माँ शब्द है कितना प्यारा,
लगता सबको है यह न्यारा।

मोल नहीं है इसका कोई,
समझे जो यह ज्ञानी सोई।

करते गर्व जिस पर हम हैं,
माँ का दिया सुन्दर तन है।

दुनिया के सब कष्ट सहन कर,
बड़ा बनाती पाल-पोस कर।

मरते दम तक करती प्यार,
हो चाहे स्वयं सुख से लाचार।

सहकर वह लाख दुःखों को,
आने नहीं देती कष्ट बच्चों को।

बच्चों को खुश रखती माँ,
खुशी में उनकी सुख ढ़ुढती माँ।

माँ-बच्चे का है इक ऐसा जोड़,
नहीं है जिसका कोई मोल।

मोल नहीं है कोई तोल नहीं,
रिश्ता है यह सबसे अनमोल।

इसलिए माँ शब्द है इतना प्यारा,
समाया जिसमें है जग सारा।।

शम्भु प्रसाद भट्ट ‘स्नेहिल’

शम्भु प्रसाद भट्ट 'स्नेहिल’

माता/पिता का नामः- स्व. श्रीमति सुभागा देवी/स्व. श्री केशवानन्द भट्ट जन्मतिथि/स्थानः-21 प्र0 आषाढ़, विक्रमीसंवत् 2018, ग्राम/पोस्ट-भट्टवाड़ी, (अगस्त्यमुनी), रूद्रप्रयाग, उत्तराखण्ड शिक्षाः-कला एवं विधि स्नातक, प्रशिक्षु कर्मकाण्ड ज्योतिषी रचनाऐंः-क. प्रकाशितःः- 01-भावना सिन्धु, 02-श्रीकार्तिकेय दर्शन 03-सोनाली बनाम सोने का गहना, ख. प्रकाशनार्थः- 01-स्वर्ण-सौन्दर्य, 02-गढ़वाल के पावन तीर्थ-पंचकेदार, आदि-आदि। ग. .विभिन्न क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की पत्र/पत्रिकाओं, पुस्तकों में लेख/रचनाऐं सतत प्रकाशित। सम्मानः-सरकारी/गैरसरकारी संस्थाओं द्वारा क्षेत्रीय, राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के तीन दर्जन भर से भी अधिक सम्मानोपाधियों/अलंकरणों से अलंकृत। सम्प्रतिः-राजकीय सेवा/विभिन्न विभागीय संवर्गीय संघों तथा सामाजिक संगठनों व समितियों में अहम् भूमिका पत्र व्यवहार का पताः-स्नेहिल साहित्य सदन, निकटः आंचल दुग्ध डैरी-उफल्डा, श्रीनगर, (जिला- पौड़ी), उत्तराखण्ड, डाक पिन कोड- 246401 मो.नं. 09760370593 ईमेल [email protected]