“मुक्तक”
अरमानों ने कर लिया, ढ़ूँढ ढ़ूँढ कर प्यार
माँ ने ममता भर दिया, देकर चाह दुलार
खर्च कर रहा हूँ अभी, घूम घूम कर लाड़
पूँजी लेकर दौड़ता, घर ढूँढू बाजार।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
अरमानों ने कर लिया, ढ़ूँढ ढ़ूँढ कर प्यार
माँ ने ममता भर दिया, देकर चाह दुलार
खर्च कर रहा हूँ अभी, घूम घूम कर लाड़
पूँजी लेकर दौड़ता, घर ढूँढू बाजार।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी