गीतिका/ग़ज़ल

अनजान रहने दो…

कुछ अनजान चेहरे हैं , उन्हें अनजान रहने दो,
उन्होंने खुद बनायीं है वही पहचान रहने दो ।

ये दो चेहरों वाला जादू दिखाना बंद करो ,
ये जो इंसान जैसे हैं उन्हें इंसान रहने दो।

आईना दिखाओगे तो बुरा मान जायेंगे ,
नए नए मेहमान हैं , मेहमान रहने दो।

दरिया ए इश्क़ में डूबो और पार हो जाओ ,
फ़क़त अरमान भर सा है , इसे अरमान रहने दो।

चेहरे से पढ़ी जा सकती हैं तुम्हारी सब गलतियां
ये दिल बेज़ुबां सा है, बेज़ुबान रहने दो।

– विजय गौत्तम ?

विजय गौत्तम

नाम- विजय कुमार गौत्तम पिता का नाम - मोहन लाल गौत्तम पता - 268 केशव नगर कॉलोनी , बजरिया , सवाई माधोपुर , राजस्थान pin code - 322001 फोन - 9785523446 ईमेल - [email protected] व्यवसाय - मैंने अपनी Engineering की पढाई Arya college , Kukas , jaipur से Civil engineering में पूरी की है एवं पिछले 2 सालों से Jaipur Engineering College , Kukas , jaipur में व्याख्याता के पर कार्यरत हूँ । ग़ज़लें लिखना बहुत अच्छा लगता है ।