माँ के चरणों में चारों धाम
ईश्वर को कहाँ ढूंढे रे बंदे
ईश्वर ही माँ का दूजा नाम
वो ही कृष्ण है वो ही राम
माँ के चरणों में चारो धाम
उसी की गोद में बचपन बीता
उसी ने मुझको पाला-पोषा
उसने ही चलना सिखाया
उसी ने मुझे बड़ा बनाया
मेरी हर गलतियों को माफ़ किया
मेरी हर जिद को स्वीकार किया
मेरे लिए उसने,सब कुछ कुर्बान किया
मेरी हर ख़ुशी में खुश हो जाना
मेरे हर दुःख में आँसु बहाना
मैं जब रुठु तो मुझको मनाना
हर माँ की यही कहानी हैँ
भूखे रहकर मुझको खिलाया
पाल-पोष कर बड़ा बनाया
उससे बड़ा नही कोई दुजा
कर ले तू उसकी पूजा
वो ही कृष्ण है,वो ही राम
माँ के चरणों में चारो धाम…
— पियुष राज