कविता

माँ

शब्द तुम्ही हो,

प्राण तुम्ही हो,
तन मन की
मूल तुम्ही हो,
दृश्य तुम्ही हो,
अदृश्य तुम्ही हो,
भाव विभाव की
मूल तुम्ही हो,
एक तुम्ही हो,
अनेक तुम्ही हो,
संयुक्त जगत की
मूल तुम्ही हो,
ममता तुम हो,
श्रद्धा तुम हो,
वात्सल्य प्रेम की
मूल तुम्ही हो,
ज्ञान तुम्ही हो,
वैराग्य तुम्ही हो,
उद्देश्यों की,
मूल तुम्ही हो,
धरा तुम्ही हो
राष्ट्र तुम्ही हो,
अखिल जगत की,
माँ तुम्ही हो.

शालिनी तिवारी

अन्तू, प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश की निवासिनी शालिनी तिवारी स्वतंत्र लेखिका हैं । पानी, प्रकृति एवं समसामयिक मसलों पर स्वतंत्र लेखन के साथ साथ वर्षो से मूल्यपरक शिक्षा हेतु विशेष अभियान का संचालन भी करती है । लेखिका द्वारा समाज के अन्तिम जन के बेहतरीकरण एवं जन जागरूकता के लिए हर सम्भव प्रयास सतत् जारी है । [email protected]