कविता

गर्मी की छुट्टीयाँ

फिर आई गर्मी की छुट्टीयाँ
घर का माहौल बदला है माहौल
दिन भर खाली सोते रहते
बिगाडे़ सम्बन्ध है
रहे रिमोट पर हाथ हमेशा
चैनल बदल बदल कर देखते कार्टुन
खुद हो गये सीनचेन
बदल गई आबोहवा जिन्दगी की
बदले बदले से हालात है
चले मिलकर काम करे सब
मम्मी का है सपना
छोड़ टी वी ,मोबाईल का साथ
लगाये बहुत से पौधे
फूल खिलेगें
मेहनत के जब
आयेगी मुस्कान चेहरे पर
खूब मिलकर नाचें गाये
गर्मी की छुट्टियों में मौज उडा़यें।

अल्पना हर्ष

जन्मतिथी 24/6/1976 शिक्षा - एम फिल इतिहास ,एम .ए इतिहास ,समाजशास्त्र , बी. एड पिता श्री अशोक व्यास माता हेमलता व्यास पति डा. मनोज हर्ष प्रकाशित कृतियाँ - दीपशिखा, शब्द गंगा, अनकहे जज्बात (साझा काव्यसंंग्रह ) समाचारपत्रों मे लघुकथायें व कविताएँ प्रकाशित (लोकजंग, जनसेवा मेल, शिखर विजय, दैनिक सीमा किरण, नवप्रदेश , हमारा मैट्रौ इत्यादि में ) मोबाईल न. 9982109138 e.mail id - [email protected] बीकानेर, राजस्थान