कैसे लाऊँ अधरों पर मुस्कान प्रिये
कैसे लाऊँ अधरों पर मुस्कान प्रिये
नैनो में है नीर भरा
ह्रदय में है तीर चुभा
निराशा ने हर और से घेरा
तन से ज्यों निकले जान प्रिये
कैसे लाऊँ अधरों पर मुस्कान प्रिये
प्रत्येक शिरा में अनल जगी
कैसी कठिन विरह घडी
निस दिन वाट जोहते तेरी
उर हुआ मरुस्थल सामान प्रिये
कैसे लाऊँ अधरों पर मुस्कान प्रिये
भर आया सागर नयनों में
टूटे स्वप्न पाले जो पलकों में
पीछे हटना शूल के डर से
है सुमन का अपमान प्रिये
कैसे लाऊँ अधरों पर मुस्कान प्रिये
विरह के बाद तो मिलन है आता
निरीह नैनों में काजल है लजाता
व्योम जैसे आये भू से करने मिलन
तुम भी आ जाना रखने मेरा मान प्रिये
कैसे लाऊँ अधरों पर मुस्कान प्रिये
भटक रही हैं मेरी अभिलाषाएं
नित सोचे कैसे साथ तेरा पाएं
भाव विहीन हुई मेरी गीतिका
भाव विदारक हुआ मेरा गान प्रिये
कैसे लाऊँ अधरों पर मुस्कान प्रिये।
प्रिया