ग़ज़ल
मुझे आँसुओ से शिकायत नहीं है
मगर रोते रहने की आदत नहीं है
तुझे तेरी गलती मैं मुँह पर कहूँगा
मुहब्बत है तुझसे, अदावत नहीं है
जो खोदे है गड्ढा वही उसमें गिरता
हकीक़त है ये तो कहावत नहीं है
खाकर के चाँटा भी चुप बैठे रहना
नपुंसकता है, ये शराफत नहीं है
हर इक ईट पर मार सकता हूँ पत्थर
मोजू में न समझो लियाकत नहीं है
— मनोज “मोजू”