ग़ज़ल
रहे हाथ सर पर भवानी लिखेंगे
जमाना कहे माँ दिवानी लिखेंगे
जमाना कहे माँ दिवानी लिखेंगे
तेरी याद दिल में बसाकर सनम अब
निगाहों की सच्ची कहानी लिखेंगे
के सागर के मोती नगीनें बनेंगे
मिलेगा हमारा न सानी लिखेंगे
चहुँ और प्रेम का दिपक जलाकर
दिलों पर सभी के निशानी लिखेंगे
शहीदों की मुझको उपाधि मिल जाए
मिले एक चूनर जो धानी लिखेंगे
ग़जल में फसाना कँवल क्या लिखेंगे
हरिक बात उसी की जुबानी लिखेंगे
— बबीता अग्रवाल कँवल