माहौल बिगाड़ने की कोशिश
झाड़खंड यानी वनों से आच्छादित प्रदेश! यहाँ की धरती भी रत्नगर्भा है. यहाँ के लोग काफी मिहनती और मेधावी हैं. टाटा, बिरला, जिंदल, रिलायंस, हिताची आदि घरानों के अलावा राज्य और केंद्र सरकार की अनेक संस्थाएं यहाँ सही ढंग से कार्यरत हैं, साक्षर और गैर साक्षर लोग किसी ने किसी रोजगार या ब्यवसाय से जुड़े हैं. मिहनतकश लोग खेतों कारखानों या जंगलों पहाड़ों पर अपने अपने काम में ब्यस्त हैं. ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिन्हें अपने काम से काम रहता है. ये लोग अपनी मिहनत के बल पर अपने परिवार और खुद को विकास के रफ़्तार से जोड़ना चाहते हैं. पर कुछ लोग तो है जिनके दिमाग में शैतान ने घर बना लिया हैं. ये लोग नहीं चाहते – लोग अमन चैन से रहें. इसलिए बीच-बीच में माहौल ख़राब करने की कोशिश की जाती है. कभी डायन के नाम पर, कभी बच्चा चोरी के नाम पर तो कभी छेड़छाड़ के नाम पर. सबका अंतिम उद्देश्य होता है, मामले को साम्प्रदायिक मोड़ दे देना. चाहे गोरक्षा के नाम पर, तो कभी धर्म स्थान के नाम पर! तकरीबन एक साल पहले कुछ शराबी गुंडों ने आपसी लड़ाई को धर्म से जोड़ दिया और तीन दिन तक जमशेदपुर में कर्फ्यू लागू रहा. आमलोगों को बहुत परेशानी हुई. उस समय मुख्य मंत्री रघुवर दास और सरयू राय ने स्थिति को नियंत्रण में लाया. फिर एक बार ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो गयी है जिसे ये दोनों नेता संभालने का हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. आम लोगों से अपील की जा रही है कि अफवाहों पर ध्यान न दें, नहीं कानून अपने हाथ में लें.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार – झारखंड में भीड़ ही अदालत होती जा रही है. कहीं हलीम और नईम को भीड़ ने मार दिया तो कहीं गौतम कुमार और गंगेश कुमार को भी भीड़ ने मार दिया. क्या ऐसा हो सकता है कि कोई समूह यह टेस्ट कर रहा हो कि अलग अलग अफवाहों के कारण भीड़ किसी को मार सकती है या नहीं. कभी यह भीड़ गाय के नाम पर बन जा रही है तो अब सुनने में आ रहा है कि बच्चा चोरी के नाम पर बन रही है. इस सवाल पर गंभीरता से सोचा जाना चाहिए कि व्हाट्सऐप पर ग्रुप बनाकर अफवाह बनाने वाले क्या यह टेस्ट कर रहे हैं कि लोग वाकई कितने मूर्ख हैं, और उन्हें किन किन मसलों में भीड़ के भेड़ की तरह हांक कर हत्यारे में बदला जा सकता है. ऐसी भीड़ के सामने प्रशासन भी बेबस नज़र आता है. कुछ तो है कि न प्रशासन इस भीड़ की राजनीति को समझ रहा है न ही समाज और न ही राजनीति. झारखंड में बच्चा चोरी की घटना होगी तो पुलिस का काम है पकड़ना या भीड़ किसी को भी शक के आधार पर घेर कर मार देगी.
सरायकलां खरसावां के राजनगर में सुबह सुबह बच्चा चोरी के संदेह में चार लोगों को पीट पीट कर मार दिया गया. सभी मुसलमान थे और कारोबारी थे. भीड़ का हौसला देखिये कि चारों की हत्या अलग अलग जगहों पर ले जाकर की गई. एक की हत्या शोभापुर में, दूसरे की डांडू, तीसरे व्यक्ति का शव सोसोमाली गांव में मिला, जबकि चौथे व्यक्ति का शव धोबो डुंगरी के जंगल में मिला. हल्दीपोखर निवासी शेख हलीम, मोहम्मद नईम, सज्जाद और सिराज रात दो बजे राजनगर की तरफ़ जा रहे थे. अचानक उनकी कार रोकने की कोशिश की गई. डर कर पड़ोस के गांव में रिश्तेदार के घर चले गए. लेकिन भीड़ वहां भी पहुंची, सीधी धमकी दी गई की सबको सौंप दो नहीं तो पूरे घर को आग लगा देंगे. चारों को भीड़ अपने साथ ले गई और फिर हत्या कर दी.
इस काम में हम सिर्फ मरने वाले को देखते हैं, यह नहीं देखते कि इस भीड़ की राजनीति में हमारे नौजवान हत्यारे हो रहे हैं. हिंदुस्तान अख़बार के वरिष्ठ पत्रकार अनीस ख़ान ने जो जानकारी वहां लोगों से बात कर बताई वो वाकई ख़तरनाक है. बच्चा चोरी की अफवाह को लेकर वाट्सऐप ग्रुप बनाया गया, फिर युवकों की टोली बनाई गई और बच्चा चोरी की बात फैलाई जाने लगी. यही इस समस्या की जड़ हो सकती है, क्या कोई ग्रुप है जो अलग अलग अफवाहों के ज़रिये यह टेस्ट कर रहा है कि भीड़ किसी को घेर कर मार सकती है या नहीं. अभी तक हम इसे इस रूप मे देखते रहे हैं कि भीड़ ने मुसलमानों को घेर कर मार दिया लेकिन गौतम कुमार वर्मा, विकास कुमार वर्मा और उनके दोस्त गंगेश कुमार भी इस भीड़ के शिकार हुए हैं.
18 मई की रात में बागबेड़ा के नागाडीह गांव में बच्चा चोरी के आरोप में जुगसलाई के गौतम कुमार वर्मा, विकास कुमार वर्मा और उसके दोस्त गंगेश कुमार की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. यही नहीं, 65 साल की रामचंद्र देवी की बुरी तरह पिटाई की गई. इनकी हालत गंभीर है. गौतम और विकास सगे भाई हैं. उनके तसीरे भाई उत्तम को भी भीड़ ने पकड़ लिया था, लेकिन वो बचकर भागने में कामयाब रहे. उत्तम ने ही बताया कि भीड़ ने उनसे पूछताछ की और अचानक बच्चा चोर की बात कहकर उनपर हमला बोल दिया गया. झारखंड के सारे अखबारों इन ख़बरों से भरे पड़े हैं. इन्हीं से पता चलता है कि गौतम और विकास को पहले बिजली के खंभे से बांधकर पीटा गया. वहां आसपास के गांव के लोग बड़ी संख्या में जमा हुए थे. हैरानी की बात है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग जुट रहे मगर किसी ने रोका नहीं. थानेदार साहब साढ़े आठ बजे पहुंचे, भीड़ को समझाने की कोशिश की, लेकिन उल्टा पुलिस पर भी हमला किया गया. थानेदार घायल हो गए. आखिर रात 10 बजे सिटी एसपी पहुंचे, तब जाकर कार्रवाई शुरू हुई. तब तक गौतम विकास और गंगेश की हत्या हो चुकी थी.
कोल्हान प्रमंडल जिसमें पांच ज़िले हैं, वहां 8 लोगों की हत्या हो चुकी है. अगर पूरे झारखंड की बात करें तो अब तक अफ़वाह के नाम पर 18 लोगों की हत्या की गई. हाल के कुछ घटनाओं पर सिलसिलेवार ब्यौरा कुछ इस प्रकार है–
2 मई 2017 : डुमरिया में 60 साल के बुज़ुर्ग की इसी तरह हत्या कर दी गई थी
2 मई : जादूगोड़ा के यूसिल बैराज के पास जॉन एंथनी की पिटाई की गई
2 मई : गालूडीह में बच्चा चोर बताकर एक अज्ञात व्यक्ति की बुरी तरह पिटाई
1 मई : आसनबनी तालाब के पास मोहम्मद असीम की हत्या, उसी दिन राखा माइंस स्टेशन के पास सद्दाम अंसारी उर्फ़ छोटू की पिटाई. गालूडीह के पुतड़ू गांव के पास सुधीर सिंह की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. सुधीर भीख मांगकर गुज़ारा करते थे.
13 मई : घाटशिला थाना क्षेत्र में सलमान मियां को पीटा गया
14 मई : जमशेदपुर के पोटका थाने में एक व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डाला
14 मई : जादूगोड़ा में मानसिक रूप से कमज़ोर महिला को बुरी तरह पीटा गया
15 मई : सुंदर नगर के खुकराडीह में सत्यपाल सिंह को भीड़ ने पीटा
16 मई : घाटशिला में दिमागी तौर पर कमज़ोर युवक की पिटाई की गई
17 मई : जादूगोड़ा में उग्र भीड़ ने दिमागी तौर पर कमज़ोर युवक पर बच्चा चोरी का आरोप लगाया गया और पिटाई की गई
19 और 20 मई को यह आग जमशेदपुर शहर में पहुँच गयी और मुस्लिम बहुल इलाकों में माहौल बिगाड़ने की कोशिश हुई. पुलिस पर पथराव हुए और सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की भरपूर कोशिश की गयी. प्रशासन और सरकार की सूझ-बूझ से माहौल को सम्हाला गया है, पर स्थिति कब भयावह हो जायेगी कहना मुश्किल है.
हम आमलोगों से अपील करते हैं कृपया अफवाहों के बहाव में न आयें न ही कानून अपने हाथ में लें. पुलिस और प्रशासन की मदद करें. गणमान्य लोग भी यही अपील कर रहे हैं. नुक्सान हमेशा आम जनता का होता है. चंद लोग इसमें अपना नेतागिरी चमका लेते हैं, कुछ बेरोजगार आवारा किश्म के नौजवानों की बदौलत! सबसे ज्यादा जरूरत है हर हाथ और दिमाग को काम दिया जाय ताकि लोग ब्यस्त रहें! तभी होगा सबका साथ और सबका विकास! जय झाड़खंड ! जयहिंद!
— जवाहर लाल सिंह, जमशेदपुर.