पथ भ्रमित होती शिक्षा
आज बच्चों को ज्ञान नहीं मिल रहा है उन्हें तो पाठ पढ़ाया जा रहा है ।
बस्ते के बोझ तले दबे बच्चे उनके पवित्र मन को सड़ाया जा रहा है ।।
बच्चों को अब दी जा रही शिक्षा में संस्कृति और संस्कार नहीं हैं ।
शिक्षा का हो रहा व्यापार ऐसी शिक्षा का सच्चे अर्थ में सार नहीं है ।।
घरों में अब माँ रामायण और महाभारत बच्चों को कहाँ सुनाती है ।
चाचा चौधरी और मोटू पतलू की कलाकारी ही अब बच्चों को भाती है ।।
आज के बच्चों को भारत के गौरवशाली इतिहास का ज्ञान नहीं हैं ।
इसीलिए पूर्वजों और बड़ों के प्रति आज के बच्चों के मन में सम्मान नहीं है ।।
— नवीन कुमार जैन