कविता “पिरामिड” *महातम मिश्र 24/05/2017 (1) ए भाई तनिक मुझे सुनो प्यासा हुआ हूँ दो घूंट पानी दो पेड़ की छांव बैठो॥ (2) ना मत कहना लाचारी है झुके ये पत्ते रूखे सूखे होठ तरस बुझा दैया॥ महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी