कविता

गौ माता

कहाँ गये वो तुर्रमखां जो, नित अवार्ड लौटाते थे
असहिष्णुता फैली देश में, नित यह गाने गाते थे

कहाँ गए वो बड़े बैरिस्टर, रातों कोर्ट खुलाते थे
कोई अच्छा काम देखकर, चैन से सो न पाते थे

पशु वध विरोध करने का यह, अजब तरीका पाला है
बीच बाजार गौ मैया को, लहूलुहान कर डाला है

तुमको अब भी यह लगता है, कौन सामने आएगा
वोटों की भीख जहाँ मिलती, कोई बोल न पायेगा

वहम पाल के बैठे हो तुम, हिन्दू धर्म मे ज़ोर नही
भले अहिंसा के पालक हैं पर, इतने हम
कमजोर नही

गौ माता का कत्ल भला क्या, खामोशी से देखेंगे
गौ माता की रक्षा खातिर ,अपना रक्त भी दे देंगे

वक़्त अभी है हुक्मरानों, कुछ कर के दिखलाने का
गौ वंश की आज कर के रक्षा, भारत का मान बढ़ाने का

बंद नही हुआ अगर खेल ये, गौ माता के कत्लों का
अंजाम बड़ा घातक होगा इन हत्यारों की नस्लों का
$पुरुषोत्तम जाजु$

पुरुषोत्तम जाजू

पुरुषोत्तम जाजु c/304,गार्डन कोर्ट अमृत वाणी रोड भायंदर (वेस्ट)जिला _ठाणे महाराष्ट्र मोबाइल 9321426507 सम्प्रति =स्वतंत्र लेखन