केरल में शर्मनाक कांड के बाद कांग्रेस व सेकुलर दलों की खुली पोल
नोटबंदी के पीएम मोदी अपने भाषणों में प्रायः कहा करते हैं कि उनके कामों से कोई न कोई नाराज हो ही जाता है। एक बार फिर नरेंद्र मोदी की सरकार ने लोगों को नाराज होने का बहुमूल्य अवसर दे दिया है, लेकिन इस बार कांग्रेसियों सहित उनके सभी विरोधियों ने एक बार फिर गलती कर दी है।
जब केंद्र की भाजपा सरकार अपने कार्यकाल के तीन साल बेमिसाल का जश्न मना रही थी। उसी समय सरकार ने देशभर में गौरक्षा के नाम पर बढ़ रही गुंडागर्दी, गौतस्करी व गौहत्या पर लगाम लगाने के लिए पशु बाजारों में गौवंश की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया। गौवंश के अंतर्गत भैंस और ऊंट के मामलों में भी यह प्रतिबंध लागू कर दिया। सरकार ने जीवों से जुड़ी क्रूर परम्पराओं पर भी प्रतिबंध लगाया है। पर्यावरण मंत्रालय ने पशु क्रूरता निरोधक नियम-2017 को अधिसूचित कर दिया है। अधिसूचना के अनुसार पशु बाजार समिति के सदस्य सचिव को यह सूचित करना होगा कि किसी भी व्यक्ति को बाजार में गौवंश लाने की इजाजत नहीं होगी, जब तक कि वहां पहंुचने पर वह पशु मालिक द्वारा हस्तलिखित घोषणापत्र न दे दे। इसमें खरीदार और विक्रेता दोनों को लिखकर देना होगा कि पशुओं का वध नहीं किया जायेगा।
जैसे ही यह कानून अधिसूचित हुआ सबसे पहले विरोध की आवाज केरल से ही उठी और मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने फेसबुक कमेंट किया कि यह नया कानून राज्यों के अधिकारों का उल्लंघन करने वाला है। विजयन ने फेसबुक पोस्ट में जिस प्रकार की भाषा-शैली का प्रयोग करके पीएम मोदी को पत्र लिखा, उससे नये कानून के खिलाफ विरोध के स्वर तीखे होते चले गये। उसी दिन से केरल, बंगाल, पुडुच्चेरी, तमिलनाडु, कर्नाटक सहित लगभग पूरे दक्षिण भारत व पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। गौवध रोकने के लिए बनाये गये नये काूनन के खिलाफ जिस प्रकार से प्रदर्शन हो रहे हैं तथा सेकुलर नेता जिस प्रकार की भाषा-शैली का प्रयोग कर रहे हैं वह बेहद आपत्तिजनक तथा बहुसंख्यक हिंदू समाज को आहत करने वाली है।
केरल के विभिन्न हिस्सों में बीफ पेस्ट अर्थात गौमांस भोज का आयोजन किया जा रहा है। केरल का बीफ पेस्ट आयोजन उस वहशियाना घटना की याद दिला रहा है, जिसमें अफगानिस्तान में तालिबान शासकों ने महल के अंदर ही गायों को काटकर उनका मांस खाया था और रक्त पिया था। उसके बाद अफगानिस्तान में तालिबान शासकों का अंत हो गया था। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि केरल में गौमाता के साथ घट रही घटनाओं के बाद भारत के वामपंथी व कांग्रेसमुक्त होने का समय आ गया है। केंद्र सरकार के ऐतिहासिक व बड़े कदम के बाद केरल में सत्ताधारी माकपा नीत एलडीएफ व कांग्रेस गठबंधन दोनों ही इस मुद्दे पर एक हो गये हैं। इन सभी दलों की युवा इकाईयों ने पूरे राज्य में मार्च निकाला और गौमांस भोज का आयोजन किया। कोच्चि में तो राज्य के पर्यटन मंत्री के सुरेंद्रन ने भी इस भोज में भाग लिया। राजधानी में सचिवालय के बाहर प्रदर्शन किया गया। यहां प्रदर्शनकारियों ने गाय का मांस पकाकर सड़कों के किनारे लोगों को वितरित किया। केरल के कोल्लम व इडुक्की जिलों में भी मानवता को शर्मसार करने वाले प्रदर्शन किये गये।
लेकिन केरल के कन्नूर से एक ऐसा वीडियो आया है जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है तथा उसके बाद कांग्रेस व सेकुलर दलों की पूरे देश में हवा निकल रही है तथ इसके बहुत ही भयावह परिणाम इन सभी दलों को देखने को मिल सकते हैं। कन्नूर जिले में कांगे्रसी मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए काफी नीचे गिर गये और वामपंथी कहीं मुस्लिम वोटों की होड़ में आगे न निकल जायें, इसलिए कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने बीच सड़क पर ही गौवध कर डाला और उसका मांस खाया तथा नरेंद्र मोदी मुर्दाबाद के नारे लगाये। यही नहीं, इस घटना का पूरा वीडियो बनाकर सोशल मीडिया में काफी बेशर्मी के साथ जारी भी कर दिया।
सोशल मीडिया में यह घटना जब वायरल होने लगी और कांग्रेस की पूरे देश में फजीहत हो गयी, तो उसके काफी देर बाद कांगेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कन्नूर की बर्बर व मानवता को शर्मसार करने वाली घटना की निंदा की और उन कांग्रेसियों को निकाल भी दिया जिन्होंने इस घटना को अंजाम दिया तथा साथ ही 16 लोगों पर गौहत्या का मुकदमा भी दर्ज हो चुका है। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि यदि देश के किसी राज्य में कोई घटना घटती है तब तथाकथित मानवतावादी और पशुप्रेमी हल्ला बोल देते हैं, लेकिन इतनी बढ़ी संख्या में गौहत्या के बाद सेकुलर नेताओं की गुंडागर्दी के आगे सभी के मुंह बंद हो गये हैं।
सबसे दुर्भाग्यपूर्ण खबर यह भी है चेन्नइ्र्र के आईआईएम में भी बीफ पेस्ट का आयोजन 50 छात्रों के समूह की ओर से किया गया। यह एक निरीह पशु के साथ घृणित क्रूरता है इसके लिए उन्हें गाय माता कभी माफ नहीं करेंगी। इन लोगों का अंत गौमाता के आसुंओं से ही होने जा रहा है। दक्षिण की घटनाओं व नेताओं की बयानबाजी बेहद शर्मसार करने वाली है। एक वामपंथी नेता जिसका कोई वजूद नहीं रह गया है का कहना है कि देश में इस कानून के कारण गृहयुद्ध के हालात पैदा हो रहे हैं तथ वहीं लोगों का यह भी कहना हेै कि सरकार लोगों के खाने-पीने पर रोक नहीं लगा सकती। गौमांस को लेकर काफी तीखी बहस छिड़ गयी है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री तो काफी पहले से ही पीएम मोदी की विरोधी हैं। वह इस कानून का कड़ा विरोध कर रही हैे। मेघालय से भी आपत्तिजनक समाचार तथा बयान प्राप्त हुए हैं। बसपा नेत्री मायावती और सपा नेताओं के पेट में भी दर्द होने लगा है ।
उक्त घटनाओं के बाद कांग्रेस सहित सभी तथाकथित धर्मनिपरेक्ष दलों के नेताओं के चेहरे का मुखौटा उतर चुका है। कन्नूर की घटना से कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टीकरण का विकृत चेहरा पूरी दुनिया के सामने आ गया है। मुस्लिम वोटों के लिये कांग्रेस अब दूसरे धर्मों व समाज के लोगों की भावनाओं को आहत करने में जुट गयी है।
मुस्लिम तुष्टीकरण की अंधी दौड़ शुरू हो चुकी हैं कांग्रेसी नेता ए के एंटनी का कहना है कि केंद्र की अधिसूचना को फाड़कर फेंक देना चाहिए। एंटनी को लगा होगा कि यह मनमोहन सरकार है, जबकि वास्तव में अब पीएम मोदी की मजबूत नेतृत्व वाली सरकार है, जिसको दबाव डालकर झुकाया नहीं जा सकता। भारी विरोध प्रदर्शन के बीच चेन्नई हाईकोर्ट मदुरै की बेंच ने अधिसूचना पर चार माह के लिए रोक लगा दी है।
इस बीच पर्यावरण मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि नया कानून पशु बाजार में पशुओं के साथ क्रूरता पर रोकथाम के लिए लाया गया है न कि बूचड़खानों के पशु कारोबार को नियंंत्रित करने के लिये। वैसे भी अब कांग्रेस सहित सभी दलों की तथाकथित विकृत धर्मनिरपेक्षता की पोल खुल चुकी है। कन्नूर की घटना के बाद कांग्रेस को आत्महत्या कर लेनी चाहिए थी, क्योंकि कभी गाय और बछड़ा कांग्र्रेस का ही चुनाव चिन्ह हुआ करता था। लेकिन विकृत मानसिकता व बौद्धिक दिवालियेपन की कगार पर खड़ी कांग्रेस ने अपनी परिभाषा ही बदल दी है। राहल गांधी व कांग्रेस यदि नेहरू को इतना ही मानते हैं तो उन्हें और अधिक माफी मांगनी चाहिए तथा जिस प्रकार के बयान उनकी पार्टी के नेता दे रहे हैं उन पर प्रतिबंध लगाने चाहिये। यदि कांग्रेस का यही रवैया रहा तथा गौमाता पर अत्याचार होते रहे, तो इसका असर हिमाचल कर्नाटक व गुजरात के विधानसभा चुनावों में पड़ना तय हैं। साथ ही ऐसा भी हो सकता है कि कन्नूर की घटना के बाद देश के कोने-कोने से कांग्रेस का वाकई में पूरी तरह से सफाया हो जाये। कन्नूर कांड कांग्रेस के लिए अंतिम यात्रा का पर्व साबित हो सकता है।
— मृत्युंजय दीक्षित