ग़ज़ल
औरो से ऊँचा खुद को बताया नहीं कभी
नजरों से मैने खुद को गिराया नहीं कभी
रोते रहे तनहाई में हम तो अकेले ही
पलकों के आँसू किसी को दिखाया नहीं कभी
करते थे लोग निंदा मेरे ही सामने
आपस में मैने किसी को लड़ाया नहीं कभी
करते थे प्यार तुमसे दिलो जां से मगर
हैरान हूँ मैं के जताया नहीं कभी
देती रही खुशी सभी को खुद को ही मारकर
जिंदा है कँवल तो मगर जीया नहीं कभी
खाई है चोट बेशुमार दिल पे हमने मगर
लिख कर तुम्हारा नाम मिटाया नही कभी
— बबीता अग्रवाल कँवल