लघुकथा

लघुकथा : संवेदना

रोज की तरह वह घिसटते घिसटते फिर उसी जगह सड़क के किनारे पर बैठ गया।

लोग आते जाते रहे । उसके कटे पैरों से रिसते मवाद देख, कुछ उस पर तरस खाते, कुछ उसे घृणा से देख मुँह फेर लेते। भीड़ में कुछ शायद आंखों वाले अंधे भी थे और कुछ दोनों कानों के साथ बहरे भी ।

भीख में मिले कुल दस बीस रुपये उसके एक समय के खाने की जुगाड़ तो कर ही देते । देश की जनसंख्या बढ़ने के साथ, जैसे, दिन-प्रतिदिन उसके कटोरे में पैसों की कमी होती जा रही है।

आज मिले आठ रुपये से खाने के लिए खरीदी रोटी ले, जैसे ही खाने को बैठा, सामने से देखती मासूम की दो ललचाती नज़रे उसे भेद गयी।

अब भूखा वर्तमान, भविष्य का पेट भर, सुकून की नींद ले रहा था।

ऊषा भदौरिया

ऊषा भदौरिया

जन्म तिथि - ०३ अप्रैल १९८३ शिक्षा - स्नातक- इन्जीनियरिंग ( इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन) प्रकाशित कृतियाँ - कुछ लघुकथा रचनाएँ सोशल मीडिया पेज व पत्रिका में प्रकाशित ईमेल - [email protected] सम्पर्क मोबाइल नं - +44 7459 946476 वर्तमान निवास पता - Flat -5,Central House 3 Lampton Road Hounslow London TW31HY स्थायी पता - 315- D मयूर विहार फेज़ -2 नयी दिल्ली-11001