गीत : प्रणय की ये वेदना किसको बताऊँ
प्रणय की ये वेदना किसको बताऊँ
मौन संवेदना कैसे दिखाऊँ
तुम्ही तुम हो निगाहो में मेरे बस
हाल दिल का तुम्हे कैसे सुनाऊँ
है मेरा दिल एक मंदिर
देवता जिसके तुम्ही हो
हूँ मैं बिन पतवार नौका
खेवता जिसके तुम्ही हो
मैं भिखारिन तेरे दर की और पुजारिन भी तेरी
फिर कहो कैसे तुम्हे मैं धड़कने दिल की सुनाऊँ
आज तुमको है समर्पित
मेरी कलम ,मेरी रचनाये
पत्थरो के देश में ज्यों
आंसुओ की याचनाये
फिर भी चुराना चाहती हूँ तुमको तुम्ही से मेरे प्रियवर
चाहती तेरा चूमूँ चौखट ,कदमो मे तेरे सिर झुकाऊँ
क्या दिखाई देती है
तुमको तडप मेरी वन्दगी
राधा सा है एक समर्पण
मीरा सी दिवानगी
या दिल तुम्हारा हुआ पत्थर जो पिघलता ही नही
रुठे -रुठे ओ पिया बोलो तुम्हे कैसे मनाऊं
— सफलता सरोज