कविता

जल है जीवन

‘जल है जीवन’

सूख जाएगा इक दिन पानी,
करते रहे अगर तुम मनमानी।
इसको बचाओ, मान लो भाई,
‘जल है जीवन’ जान लो भाई।

जल सबकी प्यास बुझाता है,
फसलों को भी चमकाता है।
इसकी महत्ता का ज्ञान लो भाई,
‘जल है जीवन’ जान लो भाई।

जल पर आधारित हैं सभी उद्योग,
साफ-सफाई में है इसका प्रयोग।
कीमत इसका पहचान लो भाई,
‘जल है जीवन’ जान लो भाई।

सब जीवों का जीवन है इससे,
सबके घर में आंगन है इससे।
इसको बचाने की ठान लो भाई,
‘जल है जीवन’ जान लो भाई।

सूखी धरा पर जब आता है,
अमृत प्रेम सरस बरसाता है।
इसके महिमा का भान लो भाई,
‘जल है जीवन’ जान लो भाई।

व्यर्थ करो ना जल को तुम,
पछताओगे कल को तुम।
जरूरत पर ही काम लो भाई,
‘जल है जीवन’ जान लो भाई।

उस दिन क्या हमारी अवस्था होगी,
जिस दिन न पानी की व्यवस्था होगी।
उस दिन का अनुमान लो भाई,
‘जल है जीवन’ जान लो भाई।

अनुराग कुमार

नाम- अनुराग कुमार (नवोदित कवि) सदस्य- भारतीय साहित्य उत्थान समिति विधा- श्रृंगार, ओज आदि। पद- राजस्व लेखपाल शिक्षा- बी०एस-सी० (गणित) जमतिथि-19/09/1994 पिता का नाम- श्री रामदास साहित्यिक उपलब्धि- कई समाचार पत्रों व साहित्यिक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। संगम नवांकुर सम्मान, युवा साहित्य सम्मान, मानव जागरूकता सम्मान, मुंशी प्रेमचंद स्मृति सम्मान। पता- ग्राम-सिसवा, पोस्ट-खुटहा बाजार, जिला- महाराजगंज पिन- 273303 उत्तर प्रदेश मो०न०-8004292135 Email: [email protected]