गीत/नवगीत

अनुगीत छंद

टूटा-फूटा उन्हें मिले जो, लगे खिलौने सम।
बोधी हैं निर्धन के बच्चे,करें न कोई ग़म।
सड़क किनारे पड़ा मिला था,खाली कंटेनर।
मैले और कुचैले लत्ते,रखते सहेजकर।।१।।

उनके खातिर खाली बोतल,रखे बड़ी कीमत।
मंजन वाला डब्बा गुल्लक,धन की करें बचत।
बिस्किट के खाली रैपर हैं, गुड़िया की चूनर।
प्रतिदिन निर्मित करते रहते,सपने वाला घर।।२।।

अगर कहीं से कुछ पा जाएँ,खाते हैं मिलकर।
इक-दूजे को लगे खोजने,बिछड़े कभी अगर।
कट्टी भी हो जाती लेकिन,बोलें अगले पल।
कोई नहीं मलाल हृदय में,प्रेम बड़ा निर्मल।।३।।

पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’

पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

स्नातकोत्तर (हिंदी साहित्य स्वर्ण पदक सहित),यू.जी.सी.नेट (पाँच बार) जन्मतिथि-03/07/1991 विशिष्ट पहचान -शत प्रतिशत विकलांग संप्रति-असिस्टेँट प्रोफेसर (हिंदी विभाग,जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट,उत्तर प्रदेश) रुचियाँ-लेखन एवं पठन भाषा ज्ञान-हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी,उर्दू। रचनाएँ-अंतर्मन (संयुक्त काव्य संग्रह),समकालीन दोहा कोश में दोहे शामिल,किरनां दा कबीला (पंजाबी संयुक्त काव्य संग्रह),कविता अनवरत-1(संयुक्त काव्य संग्रह),यशधारा(संयुक्त काव्य संग्रह)में रचनाएँ शामिल। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। संपर्क- ग्राम-टीसी,पोस्ट-हसवा,जिला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)-212645 मो.-08604112963 ई.मेल[email protected]